यह कहना गलत नहीं होगा कि इंसान का शरीर एक मशीन की तरह होता है, जिसे समय-समय पर रखरखाव की जरूरत होती है। अगर ठीक से इसका ध्यान न रखा जाए, तो कई तरह की बीमारियां जन्म ले सकती हैं। इन्हीं में से एक है जलोदर यानी एसाइटिस (पेट में पानी भरना) की समस्या।
इसमें पेट फूला हुआ नजर आता है। अगर सही समय पर इसका इलाज न किया गया, तो शरीर के कई अंगों को काम करने में कठिनाई हो सकती है और अन्य तरह की समस्याएं जन्म ले सकती हैं। यह समस्या कई लोगों में देखी गई है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम जलोदर पर विस्तार से बात करेंगे।
- क्या है जलोदर – What Is Ascites In Hindi?
- जलोदर के प्रकार – Types Of Ascites In Hindi
- जलोदर के कारण – Causes Of Ascites In Hindi
- जलोदर के लक्षण – Symptoms Of Ascites In Hindi
- जलोदर की जांच – Diagnosis Of Ascites In Hindi
- जलोदर के घरेलू उपचार – Home Treatments For Ascites In Hindi
- जलोदर के मरीज के लिए डाइट – Diet For A Patient With Ascites In Hindi
- जलोदर के मरीज न खाएं ये चीजें – Foods To Avoid With Ascites In Hindi
- जलोदर के लिए योग – Yoga For Ascites In Hindi
- अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सबसे पहले जानते हैं कि जलोदर क्या है।
क्या है जलोदर – What Is Ascites In Hindi?
सामान्य शब्दों में कहें, तो जलोदर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पेट में तरल पदार्थ भर जाता है और पेट फूला हुआ नजर आता है। यही नहीं, पेट में इकट्ठा हुआ तरल छाती तक पहुंच सकता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है (1)।
जलोदर के प्रकार – Types Of Ascites In Hindi
85 प्रतिशत जलोदर के लिए लिवर सिरोसिस जिम्मेदार है। नीचे दी गई तालिका में जलोदर के प्रकारों की सूची दी गई है और बताया गया है कि वे किस अंग से जुड़े हैं (2)।
जलोदर के प्रकार | किस अंग से जुड़े हैं? |
---|---|
हेप्टिक | लिवर सिरोसिस व इंफीरियर वेना कावा में कमी के कारण |
कार्डियोजेनिक | हृदय संबंधी विकार के कारण |
नेफ्राजेनिक | किडनी संबंधी दिक्कतों के चलते |
मैलिग्नेंट | कैंसर के कारण |
पैनक्रिएटिक | पैनक्रिया में दिक्कत आने पर |
इनके अलावा भी जलोदर के प्रकार हैं, जो निम्नलिखित हैं :
- दुर्दम्य जलोदर (Refractory ascites) : यह उपचार के बाद फिर से उत्पन्न हो जाता है। इसमें रोगी को विभिन्न लिवर संबंधी जटिलताओं का खतरा रहता है (3)।
- काइलस जलोदर (Chylous ascites) : यह एक असामान्य जलोदर है। यह तब होता है, जब इलाज ठीक से नहीं हो पाता। इससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है (4)।
आगे जानिए कि किन कारणों से जलोदर होता है।
जलोदर के कारण – Causes Of Ascites In Hindi
जलोदर अमूमन लिवर के ठीक से काम न करने के कारण होता है। सिरोसिस नामक लिवर की बीमारी इसका आम कारण है। इसके अलावा, जब कैंसर कोलोन, पेट, लिवर, छाती और पैनक्रिया पर असर डालता है, तो उससे भी जलोदर की समस्या हो सकती है। जलोदर होने के अन्य कारण भी हैं, जो नीचे बताए गए हैं :
- ज्यादा एल्कोहल का सेवन
- लिवर और हृदय की नसों में थक्के
- पैनक्रिएटिक
- किडनी (नेफ्रोटिक) की समस्या (2)
जलोदर के लक्षण – Symptoms Of Ascites In Hindi
हम जलोदर के कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें पहचान कर समय रहते इसका सही इलाज किया जा सकता है :
- बढ़ा हुआ पेट
- पैरों में सूजन
- वजन बढ़ना
- पेट फूलना
- अपच, जी-मिचलाना या उल्टी आना
- लेटते समय सांस लेने में तकलीफ होना (2)।
जलोदर की जांच – Diagnosis Of Ascites In Hindi
जलोदर के लक्षण सामने आने के बाद दो तरीकों से जलोदर की जांच की जा सकती है :
- फ्लूइड सैंपल : इस टेस्ट के दौरान संक्रमण और कैंसर के लिए पेट से तरल पदार्थ लेकर जांच की जाती है।
- स्कैन : इसमें जांच के लिए एमआरआई, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड का सहारा लिया जा सकता है।
इसके अलावा, नीचे बताई गई अन्य जांच की जा सकती हैं, जैसे :
- यूरिन टेस्ट
- किडनी की जांच
- लिवर की जांच
- विभिन्न तरह की रक्त जांच
- इलेक्ट्रोलाइट स्तर की जांच (2)
जलोदर की समस्या से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपचार भी हैं, जिनके बारे में आगे बता रहे हैं।
जलोदर के घरेलू उपचार – Home Treatments For Ascites In Hindi
1. सेंधा नमक के पानी से सेक
इसके लिए आपको चाहिए :
- ¼ चम्मच सेंधा नमक
- एक बाल्टी गुनगुना पानी
क्या करें?
- गर्म पानी में सेंधा नमक डालकर अच्छी तरह मिला लें।
- अब इस पानी में अपने पैरों को 15-20 मिनट के लिए रखें।
ऐसा कब-कब करें?
आप इस प्रक्रिया को रोज या फिर एक दिन छोड़कर रात के समय करें।
यह कैसे काम करता है?
सेंधा नमक शरीर को डिटॉक्सीफाई कर जलोदर के दौरान पैरों में आने वाली सूजन से राहत पहुंचाने में मदद करता है। यह सूजन कम कर आपको राहत पहुंचाता है (5)।
2. मेथी
इसके लिए आपको चाहिए :
- एक मुट्ठी मेथी के दाने
- एक कटोरी पानी
- पानी छानने के लिए छलनी या कपड़ा
क्या करें?
- मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर रख दें।
- अगली सुबह मेथी को पानी में अच्छी तरह मिलाकर बाद में पानी छान लें।
- अब मेथी के इस पानी को पी लें।
ऐसा कब-कब करें?
मेथी के पानी को आप रोज सुबह पिएं।
यह कैसे काम करता है?
जब बात आए पेट संबंधी परेशानियों की, तो मेथी एक बेहतर घरेलू उपचार माना जाता है। इसमें हेपटोप्रोटेक्टिव और एंटी-कैंसर तत्व होते हैं। यह सूजन को कम करती है और शरीर के अंदर क्षति पैदा करने वाले मुक्त कणों को खत्म करने में मदद करती है (6)।
3. लहसुन का रस
इसके लिए आपको चाहिए :
- लहसुन की तीन-चार कलियां
क्या करें?
- लहसुन को बारीक टुकड़ों में काटकर इसका रस निकाल लें। आप चाहें तो उंगली से अच्छी तरह दबाकर लहसुन का रस निकाल सकते हैं।
- आप खाली पेट एक चम्मच लहसुन का रस पिएं।
ऐसा कब-कब करें?
आप रोजाना सुबह लहसुन का रस पी सकते हैं।
यह कैसे काम करता है?
लहसुन हर घर में आसानी से मिल जाता है। जलोदर के मरीजों को यह काफी फायदा पहुंचाता है। इसके रोजाना इस्तेमाल से पेट फूलने की समस्या से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है। इसके अलावा, लहसुन में कैंसर विरोधी गुण भी मौजूद होते हैं (7)।
4. अदरक
इसके लिए आपको चाहिए :
- ½-1 अदरक का टुकड़ा
- एक कप गर्म पानी
- शहद
क्या करें?
- अदरक को घिसकर एक कप गर्म पानी में डाल दें। अदरक को पांच-सात मिनट के लिए पानी में ही रहने दें।
- फिर पानी को छानकर उसमें शहद मिलाएं।
- जब पानी गुनगुना हो जाए, तो उसे पी लें।
ऐसा कब-कब करें?
रोजाना खाने के बाद दिन में तीन बार इस पानी को पिएं।
यह कैसे काम करता है?
अदरक में मूत्रवर्धक गुण होते हैं, जो मूत्र के माध्यम से अतिरिक्त पानी को निकालने में मदद करते हैं। यह सूजन (एडिमा) की समस्या दूर करने के लिए एक बेहतरीन घरेलू उपचार है (8)। यह कैंसर से जुड़े जलोदर ट्यूमर कोशिकाओं पर एक एंटीट्यूमरजेनिक एजेंट के रूप में भी काम करता है (9)।
5. गाजर
इसके लिए आपको चाहिए :
- तीन-चार गाजर
- जूसर
क्या करें?
- जूसर में गाजर को पीसकर उसका रस निकालें और इस रस को पिएं।
- आप स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें अदरक का रस मिला सकते हैं।
ऐसा कब-कब करें?
बेहतर परिणाम के लिए आप रोजाना गाजर का जूस पिएं।
यह कैसे काम करता है?
जलोदर के कारण होने वाली सूजन और दर्द की समस्या से राहत दिलाने में ताजा जूस काफी मदद करता है। गाजर के जूस में मूत्रवर्धक गुण होते हैं और यह पाचन के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। यह अतिरिक्त पित्त और वसा के जरिए लिवर को साफ रखने में मदद करता है (10)।
6. मालिश
इसके लिए आपको चाहिए :
- अरंडी का तेल
क्या करें?
- अरंडी के तेल से पेट और पीठ पर अच्छी तरह मालिश करें। इसके लिए आप पेट और पीठ पर ऊपर की ओर, पॉइंट रबिंग और नीडिंग मोशन में मालिश करें।
- आप 15-20 मिनट तक मालिश करें।
आप अरंडी के तेल की जगह कोई और तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
ऐसा कब-कब करें?
आप रोज मालिश कर सकते हैं।
यह कैसे काम करता है?
मालिश करने से वाकई में काफी आराम मिलता है। पेट और पीठ पर अच्छी तरह से की गई मालिश से लिवर संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है और गैस की समस्या से तुरंत राहत मिलती है (11)।
7. मूली
इसके लिए आपको चाहिए :
- ताजी मूली
- जूसर
क्या करें?
- मूली को जूसर में पीसकर एक गिलास जूस निकाल लें।
- जलोदर की समस्या से राहत पाने के लिए मूली का जूस पिएं।
ऐसा कब-कब करें?
दिन में दो से तीन बार आप मूली का जूस पी सकते हैं।
यह कैसे काम करता है?
मूली लिवर के लिए अच्छी मानी जाती है, क्योंकि यह प्राकृतिक डिटॉक्सीफायर का काम करती है (12)। इसलिए, यह जलोदर के उपचार में काफी खास मानी जाती है। विशेष रूप से लिवर के कारण होने वाली समस्या में। आप चाहें तो इसे सलाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
8. करेला
इसके लिए आपको चाहिए :
- एक करेला
- एक गिलास पानी
क्या करें?
- करेले को छीलकर इसके बीज निकाल लें।
- इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पेस्ट बना लें। फिर इसका जूस निकाल लें।
- पानी में तकरीबन 30 मिली करेले का जूस डालकर पी लें।
ऐसा कब-कब करें?
बेहतर परिणाम के लिए जलोदर के रोगी को यह दिन में तीन बार पीना चाहिए।
यह कैसे काम करता है?
करेले के जूस का नियमित रूप से सेवन करने से जलोदर की समस्या से आपको तुरंत आराम मिलेगा। इसके टॉनिक और एंटीबायोटिक गुणों के कारण यह लिवर संबंधी समस्याओं में काफी फायदा पहुंचाता है (13)।
9. प्याज
इसके लिए आपको चाहिए :
- प्याज
क्या करें?
अपने खान-पान में और सलाद में कच्चा प्याज शामिल कर सकते हैं।
ऐसा कब-कब करें?
अपने रोजाना के खान-पान में प्याज का सेवन करें, क्योंकि यह शरीर में बना अतिरिक्त तरल दूर करने में मदद करता है।
यह कैसे काम करता है?
प्यार शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालता है और मूत्रवर्धक होता है (14)। अगर आप प्याज का नियमित रूप से सेवन करेंगे, तो जलोदर की समस्या से राहत मिलने में मदद होगी।
10. पुनर्नवा जड़ी बूटी
इसके लिए आपको चाहिए :
- पुनर्नवा की जड़
- एक गिलास गुनगुना पानी
क्या करें?
- पुनर्नवा की जड़ को पीसकर महीन चूर्ण बना लें।
- तीन ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ खा लें।
ऐसा कब-कब करें?
इस चूर्ण को आप दिन में तीन बार लें।
यह कैसे काम करता है?
इस आयुर्वेदिक औषधि को होगवीड भी कहा जाता है। यह दुनिया भर में लिवर के उपचारों में सबसे प्रसिद्ध है और इसे आमतौर पर जलोदर व ड्रॉप्सी के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें मूत्रवर्धक और कफ विरोधी गुण भी मौजूद हैं (15)।
11. डैंडेलियन चाय
इसके लिए आपको चाहिए :
- करीब 28 ग्राम डैंडेलियन की जड़
- एक गिलास उबला हुआ पानी
- एक चम्मच शहद
क्या करें?
- डैंडेलियन चाय की जड़ को 10 मिनट तक पानी में डुबोकर रखें।
- फिर इस पानी को छान लें और ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
- अब इसमें शहद मिलाकर पी जाएं।
ऐसा कब-कब करें?
आप दिनभर में इस चाय के तीन कप पी सकते हैं।
यह कैसे काम करता है?
डैंडेलियन जड़ को बजरी (ग्रैवल) रूट के रूप में भी जाना जाता है, एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है। यह पेट में अतिरिक्त तरल पदार्थ को कम करने में मदद करता है। यह पाचन को भी दुरुस्त करता है और इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे सिरोसिस प्रभावित लिवर से सूजन कम करने में मदद मिलती है (16)।
12. चने की दाल का सूप
इसके लिए आपको चाहिए :
- ½ कप चने की दाल
- चार कप पानी
- एक चम्मच काली मिर्च
- एक बड़ा चम्मच कटा लहसुन
- एक बारीक कटा टमाटर
- एक चम्मच बारीक कटा धनिया
क्या करें?
- प्रेशर कुकर में चने की दाल को 10-15 मिनट तक उबालें।
- अब एक पैन में काली मिर्च, लहसुन और टमाटर को भून लें।
- इसमें आधी उबली चने की दाल को डालकर अच्छी तरह मिला लें और ठंडा होने दें।
- जब यह ठंडा हो जाए, तो इसे पीसकर पेस्ट बना लें।
- फिर इसमें धनिया पत्ता और बची हुई दाल डाल दें।
- इसे मिलाकर तीन-चार मिनट के लिए पकाएं।
- आपका सूप तैयार है, इसे गुनगुना होने पर पिएं।
ऐसा कब-कब करें?
आप रोजाना इसे पी सकते हैं।
यह कैसे काम करता है?
यह साबित हो चुका है कि चने की दाल से बना यह सूप जलोदर में काफी प्रभावशाली है। यह मूत्रवर्धक और एक बेहतरीन टॉनिक है, जो जलोदर में फायदा पहुंचाता है। अन्य मूत्रवर्धक चीजों की तुलना में इसमें कम सोडियम होता है और पेट में इकट्ठा हुआ अतिरिक्त तरल बाहर निकल जाता है (17)।
13. बकथ्रॉर्न रूट
इसके लिए आपको चाहिए :
- एक चम्मच बकथॉर्न रूट का पाउडर
- एक गिलास गुनगुना पानी
क्या करें?
बकथॉर्न रूट के पाउडर को सुबह के समय पानी के साथ खाएं।
ऐसा कब-कब करें?
आप रोज सुबह इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
यह कैसे काम करता है?
बकथॉर्न रूट में प्राकृतिक रूप से मूत्रवर्धक और लैक्सटिव (पेट साफ करने की दवा) गुणा होते हैं। इसलिए, यह आयुर्वेदिक दवा जलोदर का प्रभावी ढंग से उपचार में मदद करती हैं (18)।
सावधानी : गर्भवती महिलाएं इस उपचार को न अपनाएं।
यूं तो जलोदर गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह रोग गंभीर बन सकता है। ऊपर बताए गए घरेलू उपचार से इसका इलाज संभव है। ये सभी चीजें आपको आसानी से मिल भी जाएंगी और फायदा भी पहुंचाएंगी।
जलोदर के मरीज के लिए डाइट – Diet For A Patient With Ascites In Hindi
इस बीमारी में घरेलू उपचार भी तभी ज्यादा असर दिखाएंगे, जब आपका खान-पान बेहतर होगा। जलोदर के मरीज को कम कोलेस्ट्रोल वाली डाइट लेने की सलाह दी जाती है। इसलिए, नीचे हम बताने जा रहे हैं कि जलोदर के मरीज को क्या खाना चाहिए :
- नमक के बजाय नमक के विकल्प का उपयोग करें।
- खट्टे फल जैसे संतरा व अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक हैं और पेट से अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने में मदद करते हैं।
- अनानास भी एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है। आप इसे खा सकते हैं या इसका रस पी सकते हैं।
- आप आम का भी सेवन कर सकते हैं। यह भी जलोदर से उबरने में मदद करता है।
- वहीं, ओट्स न सिर्फ दिल के लिए बल्कि जलोदर से राहत दिलाने में मदद करते हैं। यह भी एक बेहतर मूत्रवर्धक होता है।
- साबुत अनाज और फाइबर युक्त चीजें खाएं।
- पोटैशियम और मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, एवोकाडो, मशरूम, केला व चुकंदर आदि अपने खान-पान में शामिल करें।
जलोदर के मरीज न खाएं ये चीजें – Foods To Avoid With Ascites In Hindi
- जलोदर से निपटने के लिए आपको नमक खाना कम करना होगा। नमक से तरल की वृद्धि होती है।
- एल्कोहल के सेवन से भी जलोदर की समस्या बढ़ती है। इसलिए, अगर आपको जलोदर की समस्या है, तो एल्कोहल का सेवन तुरंत बंद कर दें।
- तला हुआ खाना और घी का सेवन न करें।
- दूध और दूध से बने उत्पाद पचाने में कठिनाई हो सकती है, इसलिए इनका सेवन करने से भी बचना चाहिए।
- स्टार्च वाले खाद्य पदार्थ जैसे चावल, आलू व कॉर्न का सेवन न करें।
- उन चीजों से दूर रहें, जो पेट फूलने का कारण बनती हैं।
- प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि उनमें उच्च मात्रा में सोडियम होता है।
इसके अलावा, अगर आप अपनी डाइट में कुछ अन्य शामिल करना चाहते हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से सलाह ले लें।
आइए, अब जलोदर से राहत पाने के लिए कुछ योग के बारे में जान लेते हैं।
जलोदर के लिए योग – Yoga For Ascites In Hindi
योगासन के फायदों के बारे में भला कौन नहीं जानता होगा। यह शरीर में रक्त और लिम्फ फ्लो को उत्तेजित करता है और कई बीमारियों से बचाता है। जलोदर के लिए योग विशेषज्ञ तीन आसन करने की सलाह देते हैं :
- बद्ध पद्मासन : इसे लॉक लोटस पोज या बाउंड लोटस पोज भी कहा जाता है। यह आसन छाती के विकास में मदद करता है और आंतरिक रूप से शरीर के अंगों की मालिश होती है। इससे रक्त प्रवाह भी सुधरता है और शरीर से अतिरिक्त तरल भी बाहर निकलता है।
- लोलासन : इसे पेंडेंट पोज भी कहा जाता है। हालांकि, यह आसन करना थोड़ा कठिन हो सकता है, लेकिन यह शरीर के आंतरिक अंगों को सक्रिय बनाता है और पेट से दबाव को दूर करने में मदद करता है।
- मयूरासन : इसे पीकॉक पोज भी कहा जाता है। यह पेट की मांसपेशियों को मजबूत कर लिम्फ फ्लो और ब्लड फ्लो में सुधार लाता है। यह एक कठिन पोज है, इसलिए शुरुआत में किसी की मदद से ही करें।
नोट : अगर आप पहली बार योगासन कर रहे हैं, तो खुद से इन्हें न करें। हमेशा प्रशिक्षक की निगरानी में रहकर ही ये व्यायाम करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
चिकित्सीय भाषा में जलोदर क्या है?
जब रक्त और लिम्फ वाहिकाओं के अंदर और बाहर बहने वाले प्लाज्मा के स्तरों में असंतुलन होता है, तो जलोदर की समस्या होने लगती है (2)।
सिरोसिस में जलोदर क्यों होता है?
सिरोसिस में लिवर टिश्यू खराब हो जाते हैं, जिस कारण लिवर के काम करने में बाधा आती है। लिवर के शिरापरक तंत्र में उच्च रक्तचाप होता है। इसी वजह से पेट में तरल इकट्ठा होने लगता है और समस्या बढ़ने लगती है (20)।
जलोदर द्रव क्या है?
यह वो द्रव है, जो पेट में भर जाता है और इसमें प्रोटीन का संचय शामिल होता है।
पेट में भरे द्रव का रंग क्या होता है?
यह तरल आमतौर पर पीले रंग का होता है।
जलोदर से क्या-क्या जोखिम हो सकता है?
अगर इस समस्या का सही समय पर इलाज न किया गया, तो कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे में संक्रमण फैल सकता है या फिर पेट के अंगों पर अत्यधिक दबाव पड़ने लगता है। इसके अलावा अन्य खतरे हैं :
- बैक्टीरियल पेरिटोनिटिस (जलोदर द्रव का संक्रमण)
- किडनी फेल हो जाना
- प्रोटीन की कमी होना
- हेपैटिक एन्सेफैलोपैथी (मस्तिष्क का निष्क्रिय होना)
- लिवर की अन्य समस्याएं (19)।
क्या जलोदर को रोका जा सकता है?
हां, ऐसे कई तरीके हैं, जिनकी मदद से आप इस बीमारी बच सकते हैं, जैसे :
- एल्कोहल न लें
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- स्वस्थ खान-पान
- धूम्रपान न करें
- नमक का सेवन कम करें
- सुरक्षित सेक्स करें
घातक जलोदर क्या है?
यह द्रव में घातक (कैंसर) कोशिकाओं की उपस्थिति है। यह कैंसर कोशिकाएं डिंबग्रंथी, कोलोरेक्टल, अग्नाशय और गर्भाशय की उत्पत्ति के प्राथमिक ट्यूमर का दूसरा खतरा हो सकता है। ऐसे रोगियों का इलाज काफी कठिन होता है और इनके लिए सही उपचार का चयन ध्यान से करना होता है (20)।
कैंसर में जलोदर क्या है?
जब कैंसर उदर अंगों से फैलकर पेरिटोनियम में फैल जाए या लसिका प्रणाली को ठीक से काम करने में बाधा पहुंचाए, तो यह तरल पेट में इकट्ठा हो सकता है। 10 प्रतिशत जलोदर के मामलों के लिए कैंसर जिम्मेदार होता है (21)।
जलोदर निकास क्या है?
जब दवाओं के जरिए जलोदर का द्रव बाहर नहीं निकलता, तो डॉक्टर जलोदर निकास का सहारा लेते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक ट्यूब को सावधानीपूर्वक पेट में डाला जाता है और जलोदर द्रव को एक बैग में इकट्ठा किया जाता है। इस प्रक्रिया को पैरासेन्टेसिस भी कहा जाता है (22)।
स्वस्थ रहने के लिए, हमें बहुत-सी चीजों से परहेज करने की आवश्यकता होती है। हालांकि, अपनी पसंदीदा खाने की चीजों से परहेज करना आपको किसी सजा से कम नहीं लगेगा, लेकिन अगर आप वाकई में स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो नुकसान देने वाली चीजों से परहेज करना ही पड़ेगा। अगर फिर भी जलोदर के लक्षण दूर नहीं हो रहे हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
हम उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके काम आएगा। अगर इस बीमारी से संंबंधित आपको कुछ और सवाल पूछने हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में हमसे जरूर पूछें।
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